‘’दिल की तडप’’
नोट:- यह एक सत्य घटना पर आधारित एवं स्वंय के द्वारा बनायी गई पोस्ट है। इस पोस्ट का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति, समूह, एवं वर्तमान समाज, साम्प्रदायिक, धर्म इत्यादि को छति पहुँचाना नहीं है। इसे केवल एक कविता के रूप में ही पढें एवं इसके द्वारा भविष्य में किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव पोस्ट की जिम्मेदारी नहीं होगी।
प्रारंभ
तोडकर आरमान सारे, आज यह दिल ला दिया।
जिन्दगी के मोड पर, तूने अजब दुखडा दिया।।
हर खुशी हर आरजू अब, मुझसे कोसों दूर है।
जिन्दगी का यह सफर, अब बन गया नासूर है।।
हो चुके हैं दूर सपने, नींद मदमाती नहीं।
जिन्दगी तकदीर से अब, मेल भी खाती नहीं।।
जिन्दगी जो जी रहा हूं, पर कहां वो बात है।
आज दिन भी लग रहा है, जैसे काली रात है।।
क्या यही थी तमन्ना, जो है मेरे सामने।
जो कभी सोचा नहीं था, वो दिखया भगवान ने।।
क्या कभी इस जिन्दगी में, फिर से वो दिन आयेंगे।
क्या मेरे वीरान उपवन, में कमल खिल पायेंगे।।
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कविता - दिल की तडप |
लेखक- सरजन सिंह बैस (एडवोकेट)
प्रकाशक- रविन्द्र(टायपिस्ट, स्टेनो)
पता- ग्राम नरेला तह. बैरसिया, जिला भोपाल
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