ईकाई – 2(2) (टूटते हुये)
एकांकी: डॉ.सुरेश शुक्ल चंद्र
प्रश्न - 1 स्त्री ने आधे दिन की छुट्टी क्यों ली
उत्तर-
स्त्री का सिर दर्द से फटा जा रहा था और उससे बिल्कुल भी काम नहीं हो पा रहा था। इसलिए स्त्री ने आधे दिन की छुट्टी ली।
प्रश्न - 2 'टूटते हुए' एकांकी का क्या संदेश है
उत्तर-
वर्तमान समय में परिवार में सब अकेले-अकेले से होकर रह गए हैं। क्योंकि अब परिवार टूटकर बिखर गये हैं। इस कारण उन्हें अपने दुख भी स्वयं ही झेलने पड र रहे हैं, क्योंकि उनके दुखों को बॉंंटने वाला कोई नहीं है। सब थके-थके से उत्साह हीन जीवन जी रहे हैं। लोगों में आपसी संवेदना समाप्त हो गई है और सभी लोग जडवत् जिंंदगी जीने को विवश हैं। वर्तमान युग में परिवार रूपी माला जो टूट कर बिखर रही है, उस माला को हमें नया आकार देकर, मोतियों को मजबूत धागे में पिरोना है तथा एक साथ होकर जीना है। यही इस एकांकी का संदेश है।
प्रश्न - 3 'सिमट-सिमटकर टूट रहे हैं' - इस पंक्ति से क्या आशय है
उत्तर-
'सिमट-सिमटकर टूट रहे हैं' पंक्ति का आशय यह है कि आज परिवार के सभी लोग अकेले-अकेले से होकर रह गए हैं। क्योंकि अब परिवार टूटकर बिखर गये हैं। इस कारण उन्हें अपने दुख भी स्वयं ही झेलने पड र रहे हैं, क्योंकि उनके दुखों को बॉंंटने वाला कोई नहीं है। सब थके-थके से उत्साह हीन जीवन जी रहे हैं। लोगों में आपसी संवेदना समाप्त हो गई है और सभी लोग जडवत् होकर जी रहे हैं। इस प्रकार वे अपने आप में ही सिमट-सिमटकर टूट रहे हैं।
प्रश्न - 4 लडकी को क्यों लगता है कि वह दोहरी जिंदगी जी रही है
उत्तर-
लडकी को परिवार में किसी का भी स्नेह-प्यार नहीं मिल पा रहा है इसलिए परिवार में वह अपने आप को अकेली महसूस करती है। उसका प्रेमी राकेश है जिसे वह बहुत प्यार करती है लेकिन उसके बॉस काला साहब भी उस पर लट्टू हैं और वे उसे अपने घर बुलाते हैं। काला साहब के घर जाने हेतु लडकी को अपने प्रेमी राकेश के साथ विश्वासघात करना पडता है, लेकिन वह सब करना उसकी मजबूरी बन चुकी है। वह महसूस करती है कि वह दोहरी जिंदगी जी रही है, क्योंकि उसके चेहरे पर अनेक आवरण हैं, जिससे उसके सही चेहरे को पहचानना बहुत ही कठिन है। लडकी को अपने प्रेमी राकेश से विश्वासघात करके, अपने बॉस काला साहब के पास जाना पडता है जो उसकी दोहरी जिंदगी जीने का प्रमाण है।
प्रश्न - 5 'टूटते हुए' एकांकी के सभी पात्र नौकरी कर रहे हैं, फिर भी उनकी जरूरतें पूरी क्यों नहीं होती
उत्तर-
'टूटते हुए' एकांकी में सभी पात्र नौकरी कर अपनी आजीविका कमा रहे हैं, लेकिन फिर भी उनकी जरूरतें पूरी नहीं होतीं। वे सभी महंगाई तथा खर्च के दो पाटों के बीच में पिस रहे हैं। इन दो पाटों ने सारे परिवार को ताडकर अलग-थलग कर दिया है। सब लोग बिखरकर एक-दूसरे से दूर हो गए हैं। महँगाई के कारण परिवार के खर्चे तो पूरे हो नहीं पाते उस पर भी उन्हें विषम परिस्थितियों में भी काम करना पडता है जिनसे उनकी जिंदगी में उत्साहहीनता, खालीपन व जडता आ गई है।
प्रश्न - 6 लडके को क्यों लगता है कि जिंदगी जड हो गई है
उत्तर-
लडके को इसलिए लगता है कि जिंदगी जड हो गई है क्योंकि उसकी जिंदगी में बिल्कुल भी उत्साह नहीं रहा है अर्थात् उसकी जिंदगी उत्साहहीनता से भरी उठी है। वह अनमने भाव से जिंदगी जी रहा है, जिससे उसके शरीर में शीघ्र थकावट भी आ जाती है। उसके जीवन में इतनी अधिक भागमभाग हो गई है कि उसे लगता है कि वह जिंदगी से हार गया है। उसके उपर कार्यों का इतना अधिक बोझ पड रहा है जिससे उसकी जिंदगी अत्याधिक जटिल व जडवत् हो गई है।
प्रश्न - 7 'टूटते हुए' एकांकी की समीक्षा अपने शब्दों में संक्षेप में कीजिये।
उत्तर-
'टूटते हुए' एकांकी में डॉ. सुरेश चन्द्र शुक्ल ने महानगर के टूटते हुए मध्यमवर्गीय परिवार का सजीव चित्रण किया है। 'टूटते हुुए' एकांकी में एक मध्यमवर्गीय परिवार के चार सदस्यों के बारे में बताया गया ळै जो कि एकांकी के मुख्य पात्र हैं। वर्तमान युग की इस व्यस्ततम जीवन शैली में एक मध्यमवर्गीय परिवार के सभी सदस्यों को जीविकोपार्जन हेतु घर से बाहर जाना पडता है। परिवार के लोगों का जीवन इतना जटिल तथा व्यस्ततम हो गया है कि परिवार के किसी भी सदस्य के पास आपस में बैठकर बातचीत करने तक का समय नहीं है। एकांकी के अनुसार आजकल पैसा कमाना तथा व्यस्त रहना ही जीवन का मूलमंत्र बन गया है। पैसा कमाने की अंधाधुंध दौड में तथा जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये परिवार का प्रत्येक सदस्य भागमभाग में लगा है। भागमभाग वाले तनावमय जीवन की इस व्यस्तता तथा जटिलता में परिवार का आपसी प्रेेम, मेल-मिलाप तथा लगाव कहीं खो सा गया है। आजकल का मानव परिवार से अधिक अपने काम तथा पैसे को ही महत्व दे रहा है।
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