बीएससी/बीकॉम/बीए विषय-हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-1(3) , तृतीय वर्ष

 इकाई - 3 (लोकोक्तियां एवं मुहावरे)

 

प्रश्‍न – 1) कूटनीति विषयक तीन मुहावरों को लिखिए

 उत्‍तर-

    कूटनीति विषयक मुहावरे - ईट का जवाब पत्थर से देना, दाल में काला होना, अपना उल्लू सीधा करना, आस्तीन का सांप, आटा दाल का भाव पता चलना इत्यादि।

 

प्रश्‍न – 2) मुहावरों का अर्थ एवं उनका वाक्य में प्रयोग

उत्‍तर-


1.       घड़ों पानी पड़ जाना

अर्थ - अत्यंत लज्जित होना

वाक्य में प्रयोग - अपने भाई की संगति देखकर राम पर घड़ों पानी पड़ गया

 


2.       कानों पर जूं न रेंगना

अर्थ- ध्यान ना देना

वाक्य में प्रयोग- विद्यार्थियों से पढ़ाई करने को कहो तो उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगती।

 


3.       दांत खट्टे करना

अर्थ- पराजित करना

वाक्य में प्रयोग- भारत प्रत्येक वर्ष बॉर्डर पर पाकिस्तान के दांत खट्टे करता रहता है। फिर भी वह अपनी करतूतों से बाज नहीं आता

 


4.       दांत काटी रोटी होना

अर्थ - घनिष्ठता

वाक्य में प्रयोग - राजू की राम से दांत काटी रोटी है, राजू उसकी बुराई नहीं कर सकता।

 

 

प्रश्‍न – 3) मुहावरे की विशेषताओं को बताइए

उत्‍तर-

1.       इसका  वाक्य में प्रयोग करने पर उसका क्रियारूप लिंग, वचन, कारक इत्यादि के अनुसार परिवर्तित हो जाता है।

2.       इसका अर्थ द्योतन में रूढ़ हो जाते हैं।

3.       किसी शब्द के स्थान पर उसके समानार्थी शब्द का प्रयोग करने से मुहावरा निर्जीव हो जाता है। जैसे दाल में काला के स्थान पर 'दाल में श्याम' या 'दाल में अश्वेत' का प्रयोग नहीं हो सकता पर्यायवाची रखने से मुहावरे की संवेदना ही नष्ट हो जाती है तथा अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है।

4.       मुहावरा में शब्द लक्षणां शक्ति ग्रहण किए हुए होता है। जैसे 'तलवार की धार पर चलना' का अर्थ जोखिम भरा कार्य करना होता है। इसमें मुख्य अर्थ का बोध लक्षणा शक्ति को ग्रहण किए हुए है।

5.       मुहावरे का प्रयोग सदैव वाक्य में किया जाता है।

6.       मुहावरे की शब्द योजना में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा सकता।

7.       मुहावरे के शब्द क्रम में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता। जैसे नौ दो ग्यारह होना के स्थान पर दो नौ ग्यारह नहीं हो सकता।

 

प्रश्‍न – 4) मुहावरे और लोकोक्ति में क्या अंतर है बताइए

उत्‍तर-

क्र.

मुहावरा

लोकोक्ति

मुहावरे संक्षिप्त होते हैं।

लोकोक्ति विस्तृत होती है।

इनके अंत में प्राय: 'ना' होता है।

इसके अंत में 'ना' नहीं आता है।

यह क्रिया अर्थक होते हैं।

यह क्रिया अर्थक नहीं होती है।

मुहावरे वाक्यांश होते हैं।

लोकोक्ति वाक्य के रूप में होती है।

मुहावरे लक्षणा शक्ति पर आधारित होते हैं।

यह गद्य एवं पद्य दोनों में होती हैं।

इसका का क्षेत्र एक वाक्य होता है।

लोकोक्ति में अभिधेयार्थ को महत्व दिया जाता है।

 

प्रश्‍न – 5) मुहावरों का वर्गीकरण कीजिए।

उत्‍तर-

कूटनीति विषयक - अपना उल्लू सीधा‌ करना, ईट का जवाब पत्थर से देना, दाल में काला होना, आस्तीन का सांप, आटा दाल का भाव पता चलना इत्यादि

मनोविकार विषयक - मन में लड्डू खाना, फूट-फूट कर रोना, हवाई किले बनाना, चेहरे पर हवाइयां उड़ना इत्यादि

पौराणिक - द्रोपदी की चीर होना, श्री गणेश करना, भीष्म प्रतिज्ञा करना, अंगद का पैर होना इत्यादि

संख्यावाचक - दो टके की बात करना, एक ही थैली के चट्टे बट्टे, पांचों उंगलियां घी में रहना, नौ दो ग्यारह होना, चार दिन की चांदनी, लंबे हाथ होना, इत्यादि

लोक व्यवहार विषयक - गड़े मुर्दे उखाड़ना, बहती गंगा में हाथ धोना, उल्लू सीधा करना, टोपी उछालना  इत्यादि

प्रेरणा मूलक - तलवार की धार पर चलना, बीड़ा उठाना, दौड़-धूप करना, जोहर दिखाना इत्यादि

उपालंभ विषयक - फब्तियां कसना, चूड़ियां पहनना, राई का पहाड़ बनाना, आटे - दाल का भाव मालूम होना इत्यादि

विविध - पसीना-पसीना होना, कसौटी पर कसना इत्यादि

 

 

प्रश्‍न – 6) लोकोक्तियों का वर्गीकरण कीजिए।

उत्‍तर-

लोकोक्तियों का अत्यंत व्यापक और बहुआयामी विस्तार है। इनका क्षेत्र भी असीमित है। समग्रता लोकोक्तियां का वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है।

चेतावनी विषयक - अपनी करनी, पार उतरनी, अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत, घर का भेदी लंका ढावै, मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।

नीति विषयक - पूछेगी प्रीति, बालू की भीति, एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है, आम के आम गुठलियों के दाम, ऊंचे दुकान में फीके पकवान, थोथा चना बाजे घना, एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा। इत्यादि

उपालंभ विषयक - नौ दिन चले अढ़ाई कोस, चार दिन की चांदनी, फिर अंधेरी रात, आंख के अंधे नाम नयनसुख, इत्यादि

विवशता मुलक - गेहूं के साथ घुन भी पिस जाता है, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, जिसकी लाठी उसकी भैंस इत्यादि

लोकसभा विषयक - न लीलत बनै न उगलत बनै, बगल में लरका गांव में टेर, चीता मारो पानी निकारो इत्यादि

सिनेमा विषयक - मेरा जीवन कोरा कागज, पर्दे में रहने दो, जब देश में थी दीवाली, बे खेल रहे थे होली, नींद भी खुली ना थी कि हाय धूप ढल गई। इत्यादि

विविध - नौ नकद न तेरह उधार, दूर के ढोल सुहावने, ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी, इत्यादि

 


 हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य सभी इकाई के बहुविकल्‍पीय प्रश्‍न-  Click

 हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-1(1)   Click

 हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-1(2)   Click

 हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-1(4)   Click

हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-2(1)   Click

 हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-2 (2)   Click

 

हिन्‍दी पाठ्यक्रम


टिप्पणियाँ