बीएससी/बीकॉम/बीए विषय-हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-2(1) , तृतीय वर्ष

 ईकाई – 2(1) (जनसंचार माध्‍यम)


प्रश्‍न - 1 जनसंचार से क्‍या आशय है

 उत्‍तर-

    जनसंचार शब्‍द 'जन' और 'संचार' इन दो शब्‍दों से मिलकर बना हैा इसको 'मास मीडिया' भी कहा जाता हैा 'जन' से आशय जनता, लोग या पब्लिक से हैा 'संचार' का अर्थ मनुष्‍य का एक-दूसरेे के साथ व्‍यवहार, भाईचारा तथा एक-दूसरे को संदेश प्रेषण से हैा

 'किसी भाव, विचार संदेश या जानकारी को दूसरों तक पहुँँचाने की सामूहिक प्रक्रिया को हम जनसंचार कहते हैां'

 

 

प्रश्‍न - 2 जनसंचार माध्‍यम में चित्रपट (फिल्‍म) का क्‍या स्‍थान है

 उत्‍तर-

    जनसंचार माध्‍यम में चित्रपट अथवा सिनेमा का भी अपना स्‍थान हैा चित्रपट आरंभ होने से पहले लोगों के जीवन में मनोरंजन के श्रेष्‍ठ साधन नहीं थेा कुछेक माध्‍यम अवश्‍य थे जो लोगों के मनोरंजन का साधन थे, जैसे- नौटंकी, रामलीला, नुक्‍कड. नाटक, प्रहसन आदि, किन्‍तु इनकी अपनी मर्यादायें थींं।आचार्य भरतमुनि ने इस द्रष्टि से ही नाटक को जनता के मनोरंजन का साधन मानते हुये उसे पंचमवेद भी कहा है। चित्रपट या सिनेमा नाटक की ही अगली कडी है। नाटकों की तुलना में चित्रपटों का विकास अधिक तेज गति से हुआ है और लोग इसके प्रति तेजी से आक्रष्‍ट हुये तथा शीघ्रता से इस माध्‍यम को आत्‍मसात किया। भाषा के विकास में इस माध्‍यम का महत्‍वपूर्ण योगदान रहा है अर्थात् सिनेमा ने अहम भूमिका निभाई है। खासकर हिन्‍दी भाषा संगीत और राष्‍ट्रीय एकता के परिप्रेष्‍य में चित्रपटों की भूमिका महत्‍वपूर्ण रही है।

    फिल्‍म उद्योगों के निर्माता, निर्देशक, गीतकार, संगीतकार, कथाकार, कैमरामेन आदि ने सिनेमा निर्माण की सम्‍पूर्ण इकाई ने ''हम सब एक हैं'' को अपनाकर विश्‍व में अनोखी मिसाल प्रस्‍तुत की है। विभिन्‍न धर्मसंप्रदाय के होने के बावजूद भी उक्‍त उद्योग-जगत ने भाई-चारे तथा सद्भाव का जो आदर्श हमारे सामने प्रस्‍तुत किया है, वह अनुकरणीय है। सिनेमा-जगत ने हिन्‍दी, उर्दू व आवश्‍यकतानुसार अंग्रेजी भाषा का प्रयोग कर भाषायी त्रिवेणी को प्रवाहित किया है, वह प्रशंसनीय है।    

    हिन्‍दी चित्रपटों के कितने ही ऐसे गीत हैं, कितनी ही गजलें हैं जिन्‍हें लोग अत्‍यंत शौक से सुनते हैं। विदेशों में रह रहे भारतीय भी विदेश तौर पर हिन्‍दी गीत सुनते और गुनगुनाते हैंं।कुछ हिन्‍दी चित्रपट इतने लोकप्रिय हो जाते हैं जिन्‍हें लोग अनेक बार देखते हैं। मदर इंडिया, मुगल-ए-आजंम, पाकीजा, शोले, उपहार, जंजीर, उपमराव जान आदि और भी अनेक ऐसी ही फिल्‍में हैं। हिन्‍दी वर्ग उनकी लोकप्रियता का नकार नहीं सका। दिन-दिन इन चित्रपटों के माध्‍यम से वे हिन्‍दी के प्रति आकर्षित हुये। इस सभी तथ्‍यों से हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँँचे हैं कि जनसंचार माध्‍यमों में चित्रपट की भूमिका महत्‍वपूर्ण है।  


प्रश्‍न - 3 ई- मेल क्‍या है

 उत्‍तर- 

    ई-मेल, संदेश संप्रेषण की एक ऐसी विधि है, जिसमें प्रेषक व प्राप्‍तकर्ता कम्‍प्‍यूटर तथा इन्‍टरनेट कनेक्‍शन के माध्‍यम से सम्‍बन्‍ध स्‍थापित करते हैं। तकनीकी रूप से ई-मेल एक कम्‍प्‍यूटर से दूसरे कम्‍प्‍यूटर तक डाक्‍यूमेन्‍टों को इलेक्‍ट्रॉनिक रूप से प्रेषित करने को कहा जाता है। इस प्रकार ई-मेल इलेक्‍ट्रॉनिक कम्‍युुुुुुुनिकेशन सिस्‍टम संचार साधन के माध्‍यम से कम्‍पोजिंंग करने तथा प्राप्‍त करने की विधि है। 

 

प्रश्‍न - 4 इंटरनेट के उपकरणों पर प्रकाश डालिये।

उत्‍तर-

     इंटरनेट के उपकरण और सेवायें- व्‍यापक अर्थ में इंटरनेट एक वर्हद् सूचना प्रणाली है जिसके अंतर्गत महत्‍वपूर्ण संंसाधन खोलकर प्राप्‍त किये जा सकते हैं। ये संसाधन निरन्‍तर परिवर्तित होने के साथ-साथ विकसित हो रहे हैं। इंटरनेट के निम्‍नलिखित उपकरण हैं-

  • इलेक्‍ट्रॉनिक सेल- ईमेल करने की सुविधा।
  • डब्‍ल्‍यू डब्‍ल्‍यू डब्‍ल्‍यू- सचित्र ध्‍वनि एवं पाठ्यांशयुक्‍त संसाधनों की प्राप्ति में।
  • एफ.टी.पी. - पत्रावली संप्रेषण के लिये।
  • टेलनेट- डाटावेसों प्रसूचियों के अभिगम के लिये।
  • गोफर- सूचनाओं को खोजकर प्राप्‍त करने के लिये।
  • वेयेनिका- गोफर के द्वारा संसाधनों की खोज इसके द्वारा करने के लिये।
  • वेस- व्‍यापक क्षेत्र सूचना-प्रणाली के अंतर्गत डाटाबेस की खोज।
  • आई.आर.सी.- वार्तालाप के लिये।
  • न्‍यूज ग्रुुुुप्‍स- सूचनाओं अथवा विचारों के आदान-प्रदान करने के लिये व्‍यापक मंच।
  • आर.एफ.सी.- टिप्‍पणी के लिये अनुरोध।   


प्रश्‍न - 5 'रेडियो' पर एक संक्षिप्‍त टिप्‍पणी लिखिये।

 उत्‍तर- 

    रेडियो को बिना कागज और बिना दूरी का समाचार-पत्र कहा जाता है। रेडियो जो कि श्रव्‍य-माध्‍यम की श्रेणी में आता है। इस जन-माध्‍यम को हम पत्रकारिता की द्रष्टि से 'श्रव्‍य-समाचार-पत्र' भी कह सकते हैं, क्‍योंकि यह माध्‍यम समाचारों-सूचनाओं को आकाश से प्रसारित कर 'सुनता' है। यह माध्‍यम श्रवणेन्द्रियों के द्वारा सारी दुनिया को श्रोताओं के निकट ले जाता है। इससे सुदूर दुर्गम स्‍थानों (जहॉं  तक   मुद्रण-माध्‍यम की पहुँँच नहीं है) तक में रहने वाले लाखों-करोडों लोग  बाहरी  दुनिया से जुड जाते हैं वर्तमान में निरक्षर, निर्धन और नेत्रहीन जनता के लिये आकाशवाणी वरदान सिद्ध हुई है। रेडियो एक ऐसा सरल तथा सुगम साधन है जिसके द्वारा दूर-दूर तक फैले श्रोताओं को पलभर में संदेश प्रसारित किया जा सकता है। 


प्रश्‍न - 6 दूरदर्शन के कार्य लिखिये।

 उत्‍तर- 

    आज दूरदर्शन विभिन्‍न विषयों पर संगीत, न्रत्‍य चर्चा, सामयिक विषय से संबंधित सामग्री, खेलकूद, युवा प्रोग्राम, साहित्यिक प्रोग्राम, बालक प्राथ‍म‍िक व उच्‍च शिक्षा कार्यक्रम आदि नित्‍य प्रसारित करता हुआ लोगों को शिक्षित कर रहा है। दूरदर्शन के अनेक चैनल्‍स विकसित हो गये हैं उनकी संख्‍या लगभग 123 के आस-पास है। समाचार, खेल, संगीत चित्रपट, मनोरंजन, ज्ञान-विज्ञान, डिस्‍कवरी आदि के स्‍वतंत्र चैनल्‍स विकसित होकर उन पर स्‍वतंत्र कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।


प्रश्‍न - 7 विश्‍व को 'ग्‍लोवल विलेज' क्‍यों कहा जाता है

 उत्‍तर- 

    आठवें दशक के उत्‍तरार्ध्‍द से सम्‍पूर्ण विश्‍व में भूमण्‍डलीय संस्‍क्रति के अस्तिव में आने से एक नई प्रकार की स्‍वंतत्रता, समानता एवं जनतंत्रात्‍मक व्‍यवस्‍था ने जन्‍म लिया, जिसे आर्थिक नव-उदारवाद कहते हैं। यह नव-उदारवाद पूँजीवाद एवं जनतंत्र का म‍िला-जुला रूप था। भूमण्‍डलीय संस्‍क्रति में विचार-सूचना, मूल्‍य और आधुनिक रूचियों का प्रवाह निरन्‍तर जारी है। इस सूचना एवं संचार क्रान्ति ने सम्‍पूर्ण विश्‍व को एक ग्‍लोवल विलेज बना दिया है।


प्रश्‍न - 8 मॉस मीडिया का परिचय दीजिये।

 उत्‍तर- 

    रेडियो, टी.वी., प्रिंट मीडिया तथा नई संचार तकनीक के अन्‍तर्गत आन्‍तरिक संचार, दूरसंचार, टेलीग्राफ, टेलीप्रिन्‍टर, टेलेक्‍स, फैक्‍स, वीडियो फोन, टेलीफोन, रेडियो पेंजिग, वॉकी टॉकी, सैलूलर फोन, इन्‍टरनेट आदि म‍िलकर मॉस मीडिया का निर्माण करते हैं। इनका उपयोग जनसंचार हेतु किया जाता है। समस्‍त जनसंचार माध्‍यमों के लिये संयुक्‍त रूप से मॉस मीडिया शब्‍द प्रयुक्‍त करते हैं।


प्रश्‍न - 9 'सोशल मीडिया' से आप क्‍या समझते हैं

 उत्‍तर- 

    सोशल मीडिया'- सोशल मीडिया पारस्‍परिक संबंध के लिये अन्‍तर्जाल या अन्‍य माध्‍यमों द्वारा निर्म‍ित आभासी समूहों को संदर्भित करता है। यह व्‍यक्तियों और समुदायों के साझा सहभागी बनाने का माध्‍यम है। इसका उपयोग सामाजिक संबंध के अलावा उपयोगकर्ता सामग्री के संशोधन के लिये उच्‍च पारस्‍परिक प्‍लेटफार्म बनाने के लिये मोबाइल और वेब आधारित प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के रूप में भी देखा जा सकता है।


प्रश्‍न - 10 जनसंचार माध्‍यमों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।

 उत्‍तर- 

    जनसंचार की प्रमुख विशेषतायें- ये निम्‍न हैं-

  • जनसंचार की प्रमुख विशेषता यह है कि यह साधरण जनता के लिये होता है। अर्थात् यह किसी विशेष वर्ग के लिये नहीं होता।
  • जनसंचार अपना संदेश तीव्रतम गति से गंतव्‍य तक पहुँचाता हैै।समाचार-पत्र, रेडियो तथा टेलीविजन के माध्‍यम से तीव्र गति से कोई भी संदेश जन-सामान्‍य तक पहुँचाया जा सकता है।
  •  युद्ध, आपातकाल, दुर्घटना आदि के समय जनसंचार की मुख्‍य भूम‍िका होती है।
  • जनसंचार की सबसे बडी विशेषता यह है कि इसमे जन-सामान्‍य की प्रतिक्रिया का पता चल पाता है।
  • जनसंचार द्वारा विभिन्‍न विषयों पर आधुनिक जानकारी उपलब्‍ध कराई जाती है। ताकि अनेक समस्‍याओं का हल तुंरत खोजा जा सके।
  • जनसंचार एकतरफा (एकांगी मार्ग) होती है।
unit - 2(1)

 हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-2 (2)   Click



हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य सभी इकाई के बहुविकल्‍पीय प्रश्‍न-  Click

 हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-1(1)   Click

 हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-1(2)   Click

हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-1(3)   Click

 हिन्‍दी भाषा और नैतिक मूल्‍य इकाई-1(4)   Click

टिप्पणियाँ