जनसंचार माध्यम
आशय - जनसंचार शब्द 'जन' और 'संचार' इन दो शब्दों से मिलकर बना हैा इसको 'मास मीडिया' भी कहा जाता हैा 'जन' से आशय जनता, लोक या पब्लिक से हैा 'संचार' का अर्थ मनुष्य का एक-दूसरे के साथ व्यवहार, भाईचारा तथा एक-दूसरे को संदेश प्रेषण से हैा
'किसी भाव, विचार संदेश या जानकारी को दूसरों तक पहुंंचाने की सामूहिक प्रक्रिया को हम जनसंचार कहते हैा'
चित्रपट का स्थान- जनसंचार माध्यम में चित्रपट अथवा सिनेमा का भी अपना स्थान हैा चित्रपट प्रारंभ होने से पहले लोगों के जीवन में मनोरंजन के श्रेष्ठ साधन नहीं थे कुछ एक माध्यम अवश्य थे जो लोगों के मनोरंजन का साधन थे, जैसे- नौटंकी, रामलीला, नुक्कड, नाटक, प्रहसन आदि, किन्तु इनकी अपनी मर्यादायें थी। आचार्य भरतमुनि ने इस दृष्टि से ही नाटक को जनता के मनोरंजन का साधन मानते हुये उसे पंचमवेद भी कहा है। चित्रपट या सिनेमा नाटक की ही अगली कडी है। नाटकों की तुलना में चित्रपटों का विकास अधिक तेज गति से हुआ है और लोग इसके प्रति तेजी से आकृष्ट हुये तथा शीघ्रता से इस माध्यम को आत्मसात किया। भाषा के विकास में इस माध्यम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है अर्थात् सिनेमा ने अहम भूमिका निभाई है। खासकर हिन्दी भाषा संगीत और राष्ट्रीय एकता के परिप्रेक्ष्य में चित्रपटों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
फिल्म उद्योगों के निर्माता, निर्देशक, गीतकार, संगीतकार, कथाकार, कैमरामेन आदि ने सिनेमा निर्माण की सम्पूर्ण इकाई ने ''हम सब एक है'' को अपनाकर विश्व में अनोखी मिसाल प्रस्तुत की है। विभिन्न धर्मसंप्रदाय के होने के बावजूद भी उक्त उद्योग-जगत ने भाई-चारे तथा सद्भाव का जो आदर्श हमारे सामने प्रस्तुत किया है, वह अनुकरणीय है। सिने-जगत ने हिन्दी, उर्दू व आवश्यकतानुसार अंग्रेजी भाषा का जो प्रयोग कर भाषायी त्रिवेणी को प्रवाहित किया है, वह प्रशंसनीय है।
ई-मेल - ई-मेल, संदेश सम्प्रेषण की एक ऐसी विधि है, जिसमें प्रेषक व प्राप्तकर्ता कम्प्यूटर तथा इंटरनेट के माध्यम से सम्बन्ध स्थापित करते हैं। तकनीकी रूप से ई-मेल एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक डाक्यूमेन्टों को इलेक्ट्रोनिक रूप से प्रेषित करने को कहा जाता है। इस प्रकार ई-मेल इलेक्ट्रोनिक कम्यूनिकेशन सिस्टम संचार साधन के माध्यम से कम्पोजिंग करने, संग्रहित करने तथा प्राप्त करने की विधि है।
रेडियो- रेडियो को बिना कागज और बिना दूरी का समाचार-पत्र कहा जाता है। रेडियो जो कि श्रव्य-माध्यम की श्रेणी में आता है। इस जन-माध्यम को हम पत्रकारिता की दृष्टि से 'श्रव्य-समाचार-पत्र' भी कह सकते हैं, क्योंकि यह माध्यम समाचारों-सूचनाओं को आकाश से प्रसारित कर 'सुनाता' है। यह माध्यम श्रवणेन्द्रियों के द्वारा सारी दुनिया को श्रोताओं के निकट ले जाता है। इससे सुदूर दुर्गम स्थानों (जहां तक मुद्रण-माध्यम की पहुंच नहीं है) तक में रहने वाले लाखों-करोडों लोग बाहरी दुनिया से जुड जाते हैं वर्तमान में निरक्षर, निर्धन और नेत्रहीन जनता के लिये आकाशवाणी वरदान सिद्ध हुई है। रेडियो एक ऐसा सरल तथा सुगम साधन है जिसके द्वारा दूर-दूर तक फैले श्रोताओं को पलभर में संदेश प्रसारित किया जा सकता है।
सोशल मीडिया- सोशल मीडिया पारस्परिक संबंध के लिये अन्तर्जाल या अन्य माध्यमों द्वारा निर्मित आभासी समूहों को संदर्भित करता है। यह व्यक्तियों और समुदायों के साझा सहभागी बनाने का माध्यम है। इसका उपयोग सामाजिक संबंध के अलावा उपयोगकर्ता सामग्री के संशेधन के लिये उच्च पारस्परिक प्लेटफार्म बनाने के लिये मोबाइल और वेब-आधारित प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के रूप में भी देखा जा सकता है।
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